लेखनी प्रतियोगिता -18-Mar-2022 जंगल ट्रिप
शीर्षक = जंगल ट्रिप
ट्रिंग , ट्रिंग , ट्रिंग,,,,,,, रिया बेटा देखना दरवाजे पर कोन है कुमुद ने अपनी सात साल की बेटी से कहा । रिया दरवाजा खोलते ही पापा आ गए आप। कहते हुए रिया ने अपने पिता अभिषेक को गले लगा लिया। अभिषेक ने भी रिया को अपने सीने से लगा लिया।
पापा की आवाज सुन अन्दर टीवी देख रहा आयुष्मान जल्द बाहर आ जाता और पापा के गले लग जाता ।
बाहर से आवाजे आती देख कुमुद जो की रसोई में रात के खाने की तैयारी कर रही होती है बाहर आती है ।
अभिषेक आज आप बड़ी जल्दी आ गए सब ठीक तो है आप की तबीयत तो ठीक है । कुमुद पूछती है
जी सब कुछ सही है कुमुद बस एक कप चाय मिल जाए तो शाम का मजा आ जाए और तुम भी ऐसा करो चाय लेकर बाहर आ जाओ मौसम बहुत सुहाना है । साथ में मिलकर पीते है।
जैसा आप कहे कुमुद कहती है।
थोड़ी देर बाद वो चाय लेकर बाहर ग्राउंड में जाती है । जंगल के बीच में रहने का अपना ही मजा है शहर की शोर गुल भरी जिंदगी से दूर , जंगली जानवरों और ढेर सारे पंछियों के बीच जहां सिर्फ आप हो और दूर दूर तक फैला ये जंगल । अभिषेक अपनी पत्नि और बच्चों से कहता है ।
आयुष्मान पापा आप फॉरेस्ट ऑफिसर क्यू बने आखिर आप को शहर से अच्छा जंगल के बीचो बीच रहना क्यू अच्छा लगता है जहा ना तो कोई रेस्टोरेंट है, ना ही कोई मॉल और ना ही स्कूल हमे भी ड्राइवर के साथ इतनी दूर जाना पड़ता है रोज स्कूल के लिए ।
क्या आपका पहले से सपना था फॉरेस्ट ऑफिसर बनने का ।
अभिषेक अपने पांच साल के बेटे की बाते सुन मुस्कुराता और चाय की चुस्की लेकर कप को नीचे रखते हुए कहता है । बेटा ये जंगल हमारी धरोहर है इसकी हिफाजत करना हम सब का फर्ज है ये सिर्फ जंगल नही है ये बहुत से छोटे बड़े जानवरो का घर है और अब भी बहुत से लोग बाहर की दुनिया के संपर्क में आए बिना ही जंगल को अपना घर मानते है और यही पैदा होते और यही मर जाते है ।
वही लोग है जिनकी बदौलत आज जंगल और उसमे रहने वाले जंगली जानवर जिंदा है । वरना तो आदमी के बड़ते लालच ने सिर्फ और सिर्फ अपने फायदे के कारण जंगल और उसमें रहने वाले जानवरो को माराऔर काटा ही है कभी मास के लालच में तो कभी कीमती लकड़ी तो कभी जानवरो को मार कर कीमती समान बनाने के कारण जैसे हाथी दांत ।
मैं भी और लोगों की तरह ही था सिर्फ और सिर्फ़ जंगल को एक पिकनिक या जंगल ट्रिप समझने वाला लेकिन एक दिन के हादसे ने मुझे बता दिया की जंगलों का उद्देश्य सिर्फ ट्रिप के लिए नही है ये तो इन्सान के वो फेफड़े है जिनके द्वारा मनुष्य सास ले पा रहा है।
चलो मैं तुमको अपने जंगल ट्रिप की कहानी सुनाता हूं । इसी बहाने मौसम और चाय का आनंद भी आ जाएगा और तुम लोगों को पता भी चल जाएगा की एक नालायक लड़का फॉरेस्ट ऑफिसर क्यू और कैसे बना ।
ये बात है उन दिनो की जब मैं कॉलेज में पढ़ता था और वहा से MBA in business administration में कर रहा था क्योंकि तुम्हारे दादा और ताया का बहुत बडा export का बिजनेस था इसलिए मैं भी MBA कर के उन्ही के साथ अपने बिजनेस को आगे बढ़ाता ।
लेकिन मुझे ना तो MBA में ही दिलचस्पी थी और ना ही बिजनेस में बस भाईसाहब और पिताजी के कहने पर जबरदस्ती कर रहा था और मेरा अपना भी कोइ सपना नही था कुछ बनने का लेकिन मुझे हमेशा लगता था की मैं जो कर रहा हू वो सही नही है मुझे कुछ और करना चाहिए ।
इसी के चलते एक दिन जब मैं और मेरे तीन दोस्त कैंटीन में बैठे कुछ खा रहे थे । तभी एक दोस्त ने कहा क्यू ना कुछ एडवेंचर किया जाए वैसे भी कॉलेज खत्म होने वाला है उसके बाद सब लोग पैसे कमाने में व्यस्त हो जाएंगे फिर किसके पास समय होगा जिंदगी को एंजॉय करने का ।
सब को उसकी बात अच्छी लगी और सब राज़ी हो गए लेकिन अब मुश्किल थी कहा ओर क्या एडवेंचर किया जाए । किसी ने कहा राफ्टिंग करने चलते है , तो कोई बोला हाइकिंग पर शिमला चलते है । लेकिन तभी मेरे दिमाग में बात आई क्यू ना जंगल ट्रिप पर चलते है कुछ पल जंगली जानवरों और दरख्तो के बीच बिताते है ।
पहले तो सब को डर लगा लेकिन बाद मैं सब मान ही गए और अगले दिन हम सब मेरी गाडी लेकर डंडिया के जंगलों में निकल गए । सुना था लोग कहते है काफ़ी खतरनाक जंगल है बिना किसी गाइड के वहा जाना आसान नही ।
इसलिए हमने वहा से एक गाइड लिया जो हमे जंगल में घूमा सके ।
हमने वहा शहर से दूर जंगलों में अपनी दो राते गुजारी बहुत सी तस्वीर उतारी अपने अपने कैमरे में । बंबू में खाना बनाना सीखा गाइड की सहायता से । पेड़ो पर घर बनाया हमने क्योंकि वहा पर कुछ एरिया संरक्षित थे लोगों के रहने के लिए जो की जंगली जानवरों के रहने के ठिकानों से कही दूर थे
पेड़ पर चढ़ना मेने और मेरे दोस्तो ने वही सीखा । वो खुले आसमान के नीचे सोने का मजा जहां जमीन आपका बिस्तर हो और सितारों और चांद से भरा खुला आसमान आप की चादर । ना कोई AC ना कोइ नर्म गद्दा सिर्फ और सिर्फ सूखी घास जिस पर हम लोग लेटते रात को ।
ना कोइ नौकर जो आपको खाना बनाकर दे खुद लकड़ी लाना और खुद ही खाना बनाना । सच में बहुत ही प्यारा एडवेंचर था आज भी याद करता हू तो आंख भर आती है । अभिषेक अपने बच्चों से कहता।
लेकिन पापा फिर क्या जिसकी वजह से आप ने पढ़ाई और दादा का बिजनेस छोड़ दिया और यहां इस नोकरी को करने लगें आयुष्मान ने पूछा ।
बेटा अगले दिन जब हम लोगों का वहा उस जंगल में आख़िरी दिन और आखिरी रात थी तब हम लोग अपने गाइड के साथ जंगल के दूसरे हिस्से में घूम रहे थे तभी मुझे एक बोर्ड दिखाई दिया जिस पर लिखा था आगे जाना मना है ।
पूछने पर पता चला की वहा एक जनजाति रहती है जो की शहर के लोगों को पसंद नही करती क्योंकि उनकी वजह से जंगल खतरे में है आप लोग भी बस यहां से जल्दी लोट चले अगर उनके किसी आदमी ने हमें देख लिया तो अपने साथ ले जायेंगे फिर नही पता क्या करे हमारे साथ ।
ये सुन हम सब डर गए और वहा से जल्दी भागने लगे लेकिन शायद हम ने देर करदी थी ।
और वो लोग हमारे सामने आ गए और तीरों से हम पर हमला किया और बेहोश करके हमे अपने साथ अपने सरदार के पास ले गए।
जब हमे होश आया तब हम लोग पेड़ों से बंधे थे और सामने आग जल रही थी और वो लोग उस आग के चारो ओर नाच रहे थे ।
हमने उनसे कहा हमे जाने दो हम गलती से यहां आ गए ।
तभी उनका सरदार बोला इस जंगल में तुम आते अपनी मर्जी से हो लेकिन जाओगे हमारी मर्जी से । तुम शहरी लोगों ने शहर को तो खराब कर ही दिया है अब धीरे धीरे जंगल और उसमें रहने वाले जंगली जानवरों को भी अपने लालच का शिकार बना रहे हो ।
तुम लोग जब अपनी भागदौड़ की जिंदगी से तंग आ जाते हो तो जंगल की तरफ़ आ जाते हो कुछ दिन के लिए लेकिन जब जंगल काटे जा रहे होते है तब तुम लोग चुप रहते हो जब हम से हमारा घर जंगल छीना जा रहा होता है तब भी तुम लोग चुप रहते हो ।
तुम लोगों की लालच की वजह से ही मेरा पुरा परिवार मुझसे दूर हो गया हम लोग तुम लोगों के दुश्मन नही थे तुम शहर में खुश थे और हम जंगलों में । लेकिन एक दिन जब कुछ लोगों को पता चला की जंगल तो अपने अन्दर खजाना छुपाए बैठा है और उसकी रखवाली ये जंगली लोग कर रहे है जो तादाद में भी थोड़े है तो क्यों न इनको मार कर प्रकृति में छुपे खजाने को हासिल किया जाए ( खजाना बोले तो चंदन की लकड़ी , सागोन की लकड़ी , कीमती पत्थर ,लाल चंदन जड़ी बूटियां और जानवरो के दांत और खाले जो बाहर मुल्कों में काफ़ी अच्छे दामों में बिकती है ) ।
और फिर उन्होने हम पर अपने आधुनिक शस्त्रों से प्रहार करना शुरू कर दिया आए दिन हमारी जनसंख्या कम होती गई और धीरे धीरे जंगली जानवर भी मार दिए जाने लगे पैड भी कटने लगे । पिरशासन भी मिल बैठा था उन लालचियो के साथ ।
किसी ने भी हमारी मदद नही की इस लिए हम लोगों ने अपनी और जंगल की हिफाजत खुद करने की ठानी हमने हथ्यार बनाना और चलाना सीखे और फिर हमने उनपर वार करना शुरू किया और अपनी दहशत उनके दिलो में बैठा दी और अब कोई भी इधर आने की हिम्मत नही करता और जो कोई भी जंगल या उसमें रहने वालो को कोई नुकसान देता है तो वो हमारे हाथो से नही बचता
लेकिन वो इन्सान नही मिला जिसकी वजह से मेरा परिवार और लोग मुझसे जुदा हो गए ।
उसकी बाते सुन उन सब की आंखों में आंसू आ गए । अभिषेक कहता है क्या में आपकी कुछ मदद कर सकता हू उस आदमी को ढूंढने में क्यूंकि मेरे पिता एक जाने माने बिजनेस मैन है उन्हे बड़े बड़े लोग जानते है हो सकता है वो उन लोगों को भी जानते हो जिन्होने आप के साथ ये सब किया । मैं आपसे वादा करता हू उन्हे ढूंढ़ कर सजा दिलवाऊंगा क्या आप मुझे बता सकते है ।
मुखिया ने कहा आख़िर तुम भी तो उन्ही लोगों में से हो हमारी मदद क्यू करोगे तुमको हमने छोड़ दिया तो क्या तुम वापस आओगे और क्या तुमको याद रहेगा ।
ये सुन अभिषेक अपने गले से एक लॉकेट निकालता और कहता ये मेरी मां की आखिरी निशानी है जो उन्होने मुझे मरते वक्त दी थी जब में पांच साल का था ।
आप इसको रख लीजिए और मुझे बताएं की वो कोन लोग है अगर मुझे वो मिल गए तो उनको सजा दिल वा कर वापस आऊंगा इस लॉकेट की लेने नही आया तो समझना अभी ढूंढ रहा हू उनको ।
सरदार को उस पर यकीन हो चला था और उसने कहा की मेरे जासूसों ने बताया है कि वो एक व्यापारी है जो की बाहर मुल्कों में समान भेजता है और उसी के साथ वो ये काम भी करता है ।
उसकी बात सुन अभिषेक और उसके दोस्त वहा से छोड़ दिए जाते है । उसके दोस्तो ने तो कहा की छोड़ जाने दे कहा तलाश करता फिरेगा ऐसे लोगों को क्या पता यहां है या फिर बाहर भाग गए ।
लेकिन अभिषेक ने उनकी एक ना सुनी और छान बीन में लग गया ।
फिर क्या हुआ पापा आपको वो लोग मिल गए । क्या आप दादी का लॉकेट वापस ले आए ? रिया ने उत्सुकता भरे स्वर में पूछा ।
जी बेटा मेरी मेहनत रंग लाई मुझे कुछ लोगों के खिलाफ सबूत मिले मेने और छान बीन शुरू की ओर एक साल की कड़ी मेहनत के बाद मुझे पता चल ही गया की वो लोग कोन थे ।
कोन थे वो लोग पापा रिया और आयुष्मान ने पुछा ।
बेटा वो लोग अच्छे लोग नही थे इस लिए मैं आप लोगों को उनका नाम नही बताऊंगा वरना आप उनसे नफरत करने लगोगे चलो अब अपने कमरे में जाओ रात हो चुकी है। अभिषेक दोनो बच्चों से कहता है और दोनो खेलते कूदते वहा से चले जाते है।
अच्छा हुआ आपने बच्चों को नाम नही बताया । कुमुद कहती है।
कैसे बताता कि उनके दादा और ताया कातिल है जिन्होने अपने लालच के मारे जानवरो और पेड़ो की तस्करी करना शुरू कर दी थी अनाज के साथ साथ । केसे बताता की उनके पिता की परवरिश हराम के पेसो से हुई थी जिसका उसे इल्म भी नही था ।
बस उस दिन से मैने अपनी पढ़ाई छोड़ दी और केसे ना केसे करके फॉरेस्ट ऑफिसर बनने की जी तोड़ मेहनत की ताकी अब और जंगल ना कट सके ताकि हमारी आने वाली नस्लें भी जंगल ट्रिप का आनंद लें सके जैसे हमने लिया था कही ऐसा ना हो आने वाली नस्लें जंगल सिर्फ किताबो में ही देख पाए असल जिंदगी में उन्हें पता ही ना हों कि जंगल क्या होते है और उनका हमारे जीवन में क्या महत्व है ।
प्रतियोगिता हेतु लिखी कहानी
Seema Priyadarshini sahay
22-Mar-2022 12:45 AM
वाह बहुत खूब
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Abhinav ji
20-Mar-2022 09:09 AM
Very nice
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Shrishti pandey
19-Mar-2022 09:25 AM
Bahut hi badhiya kahani. Aapki kalpanao ka to koi jawab nahi 👌
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Mohammed urooj khan
19-Mar-2022 10:33 AM
धन्यवाद मैम उत्साह बड़ाने के लिए
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